अ॒ग्निस्ति॒ग्मेन॑ शो॒चिषा॒ यास॒द् विश्वं॒ न्य१॒॑त्रिण॑म्। अ॒ग्निर्नो॑ वनते र॒यिम् ॥२८॥
agnis tigmena śociṣā yāsad viśvaṁ ny atriṇam | agnir no vanate rayim ||
अ॒ग्निः। ति॒ग्मेन॑। शो॒चिषा॑। यास॑त्। विश्व॑म्। नि। अ॒त्रिण॑म्। अ॒ग्निः। नः॒। व॒न॒ते॒। र॒यिम् ॥२८॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर राजा को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥
हरिशरण सिद्धान्तालंकार
शत्रु विनाश व धन प्राप्ति
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुना राज्ञा किं कर्त्तव्यमित्याह ॥
हे राजन् ! यथाऽग्निस्तिग्मेन शोचिषा प्राप्तं वस्तु वहति तथा यो विश्वमत्रिणं नि यासत्तथा च योऽग्निर्नो रयिं वनते तमध्यक्षं कुरु ॥२८॥
डॉ. तुलसी राम
आचार्य धर्मदेव विद्या मार्तण्ड
What should a king do is told further.
O king ! as fire burns every thing that is lying near, by its sharp blaze, so appoint him as the head of the military (defense), department who casts down all wicked enemies and bestows wealth upon us.
