यू॒यं मर्तं॑ विपन्यवः प्रणे॒तार॑ इ॒त्था धि॒या। श्रोता॑रो॒ याम॑हूतिषु ॥१५॥
yūyam martaṁ vipanyavaḥ praṇetāra itthā dhiyā | śrotāro yāmahūtiṣu ||
यू॒यम्। मर्त॑म्। वि॒प॒न्य॒वः॒। प्र॒ऽने॒तारः॑। इ॒त्था। धि॒या। श्रोता॑रः। याम॑ऽहूतिषु ॥१५॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर विद्वद्विषय को कहते हैं ॥
हरिशरण सिद्धान्तालंकार
'सत्यमार्ग पर ले-चलनेवाले' प्राण
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनर्विद्वद्विषयमाह ॥
हे विपन्यवो ! यूयं प्रणेतारः श्रोतारो धिया यामहूतिष्वित्था मर्त्तं प्रेरयत ॥१५॥
डॉ. तुलसी राम
आचार्य धर्मदेव विद्या मार्तण्ड
Something about the duties of the enlightened persons is told-further.
O wise men ! you are leaders and listeners to the requests of men in the acts of peace and invocation. Thus with your intellect and actions, you urge them to do good deeds.
