वांछित मन्त्र चुनें

वि॒द्युन्म॑हसो॒ नरो॒ अश्म॑दिद्यवो॒ वात॑त्विषो म॒रुतः॑ पर्वत॒च्युतः॑। अ॒ब्द॒या चि॒न्मुहु॒रा ह्रा॑दुनी॒वृतः॑ स्त॒नय॑दमा रभ॒सा उदो॑जसः ॥३॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

vidyunmahaso naro aśmadidyavo vātatviṣo marutaḥ parvatacyutaḥ | abdayā cin muhur ā hrādunīvṛtaḥ stanayadamā rabhasā udojasaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

वि॒द्युत्ऽम॑हसः। नरः॑। अश्म॑ऽदिद्यवः। वात॑ऽत्विषः। म॒रुतः॑। प॒र्व॒त॒ऽच्युतः॑। अ॒ब्द॒ऽया। चि॒त्। मुहुः॑। आ। ह्रा॒दु॒नि॒ऽवृतः॑। स्त॒नय॑त्ऽअमाः। र॒भ॒साः। उत्ऽओ॑जसः ॥३॥

ऋग्वेद » मण्डल:5» सूक्त:54» मन्त्र:3 | अष्टक:4» अध्याय:3» वर्ग:14» मन्त्र:3 | मण्डल:5» अनुवाक:4» मन्त्र:3


0 बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर मनुष्य कैसे हों, इस विषय को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (नरः) नायकजनो ! जो (विद्युन्महसः) बिजुली की विद्या में बड़े श्रेष्ठ (अश्मदिद्यवः) मेघ विद्या के प्रकाश करनेवाले (वातत्विषः) वायुविद्या से कान्तियाँ जिनकी ऐसे और (पर्वतच्युतः) मेघों को वर्षाने वा (अब्दया) जलों को देनेवाले और (स्तनयदमाः) शब्द करते गृह जिनके वे (रभसाः) वेग से युक्त (उदोजसः) उत्कृष्ट पराक्रम जिनका वे (मुहुः) वार-वार (आ) सब प्रकार से (ह्रादुनीवृतः) शब्द करनेवाली बिजुली से युक्त (चित्) भी (मरुतः) मनुष्य हैं, उनसे मिलिये ॥३॥
भावार्थभाषाः - जो बिजुली, मेघ, वायु और शब्द आदि की विद्या को जाननेवाले हैं, वे सब प्रकार से लक्ष्मीवान् होते हैं ॥३॥
0 बार पढ़ा गया

हरिशरण सिद्धान्तालंकार

'रभसा उदोजसः ' मरुतः

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (मरुतः) = प्राण (विद्युन्महसः) = अत्यन्त दीप्त तेजवाले हैं, (नरः) = हमें तेजस्विता के द्वारा उन्नतिपथ पर ले चलनेवाले हैं। (अश्मदिद्यवः) = पाषाणवत् दृढ़ आयुधोंवाले हैं, 'इन्द्रिय, मन व बुद्धि' रूप जीवन-संग्राम के आयुधों को दृढ़ बनानेवाले हैं। (वातत्विषः) = प्राप्त दीप्तिवाले हैं और (पर्वतच्युतः) = अविद्या पर्वत को विनष्ट करनेवाले हैं। [२] (अब्दया चित्) = [अप् दा] ये प्राण निश्चय से रेतः कणरूप जलों को देनेवाले हैं। इन रेतः कणों के द्वारा ही (ह्रादुनीवृतः) = ज्ञान की वाणीरूप अशनियों के प्रवर्तक हैं। रेत: कण ही तो ज्ञानाग्नि के ईंधन बनते हैं। (स्तनयदमा:) = [अम-बल] गर्जना करते हुए बलवाले हैं। इन प्राणों के द्वारा मनुष्य शक्ति सम्पन्न बनता है और प्रभु-स्तवन करता है। (रभसा:) = ये प्राण राभस्यवाले, वेगयुक्त बलवाले व (उदोजसः) = उत्कृष्ट ओजस्वी हैं।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- प्राणसाधना हमें ज्ञान, बल व वेग को बढ़ाकर उन्नतिपथ पर ले चलती है ।
0 बार पढ़ा गया

स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनर्मनुष्याः कीदृशा भवेयुरित्याह ॥

अन्वय:

हे नरो ! ये विद्युन्महसोऽश्मदिद्यवो वातत्विषः पर्वतच्युतोऽब्दया स्तनयदमा रभसा उदोजसो मुहुरा ह्रादुनीवृतश्चिन्मरुतः सन्ति तैः सङ्गच्छस्व ॥३॥

पदार्थान्वयभाषाः - (विद्युन्महसः) ये विद्युद्विद्यायां महसो महान्तः (नरः) नायकाः (अश्मदिद्यवः) मेघविद्याप्रकाशकाः (वातत्विषः) वातविद्यया त्विषः कान्तयो येषान्ते (मरुतः) मानवाः (पर्वतच्युतः) ये पवतान्मेघान् च्यावयन्ति (अब्दया) येऽपो जलानि ददति ते (चित्) अपि (मुहुः) वारंवारम् (आ) (ह्रादुनीवृतः) ये ह्रादुन्या शब्दकर्त्र्या विद्युता युक्ताः (स्तनयदमाः) स्तनयन्ति शब्दयन्त्यमा गृहाणि येषान्ते (रभसाः) वेगवन्तः (उदोजसः) उत्कृष्टमोजः पराक्रमो येषां ते ॥३॥
भावार्थभाषाः - ये विद्युन्मेघवायुशब्दादिविद्याविदः सन्ति ते सर्वतो श्रीमन्तो जायन्ते ॥३॥
0 बार पढ़ा गया

डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O leading lights of humanity, know that the Maruts command the mighty electric energy in the skies, light up the thunder, energise the winds and break the clouds. Blazing with splendour, ferocious with force, roaring with thunder, they wear the rumble of spatial boom shaking the mountains and burst in floods of incessant rain.
0 बार पढ़ा गया

आचार्य धर्मदेव विद्या मार्तण्ड

How should men behave is told further.

अन्वय:

O leaders ! you should associate with the persons who are conspicuous in the science of electricity. In fact, they are revealers of the science of the clouds, who shine on account of their knowledge of the science of air, and transform the clouds into rain water. In fact, they are the givers of water to the thirsty whose homes are full of the recitation of the Vedic speech. They are speedy and of exceeding strength, and are connected with poverty-carrying transmitting experiments etc.

भावार्थभाषाः - Those persons become prosperous who know the science of electricity, cloud, air sound etc.
0 बार पढ़ा गया

माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे विद्युत, मेघ, वायू व शब्द इत्यादींची विद्या जाणणारे असतात ते सर्व प्रकारे श्रीमंत होतात. ॥ ३ ॥