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अ॒स्माँ अ॑विड्ढि वि॒श्वहेन्द्र॑ रा॒या परी॑णसा। अ॒स्मान्विश्वा॑भिरू॒तिभिः॑ ॥१२॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

asmām̐ aviḍḍhi viśvahendra rāyā parīṇasā | asmān viśvābhir ūtibhiḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अ॒स्मान्। अ॒वि॒ड्ढि॒। वि॒श्वहा॑। इन्द्र॑। रा॒या। परी॑णसा। अ॒स्मान्। विश्वा॑भिः। ऊ॒तिऽभिः॑ ॥१२॥

ऋग्वेद » मण्डल:4» सूक्त:31» मन्त्र:12 | अष्टक:3» अध्याय:6» वर्ग:26» मन्त्र:2 | मण्डल:4» अनुवाक:3» मन्त्र:12


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (इन्द्र) अत्यन्त ऐश्वर्य्य से युक्त राजन् ! आप (विश्वहा) सम्पूर्ण दिनों को (परीणसा) अनेक प्रकार के (राया) धन के साथ (अस्मान्) हम लोगों को (अविड्ढि) प्रवेश कराइये और (विश्वाभिः) सम्पूर्ण (ऊतिभिः) रक्षा आदि क्रियाओं से हम लोगों को प्रवेश कराईये अर्थात् युक्त करिये ॥१२॥
भावार्थभाषाः - वही उत्तम राजा और राजपुरुष हैं कि जो सब प्रकार रक्षा से प्रजा को धनाढ्य करें ॥१२॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

योगक्षेम के दाता प्रभु

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (इन्द्र) = परमैश्वर्यशालिन् प्रभो ! (अस्मान्) = हमें (विश्वहा) = सदा (परीणसा) = [महता] बहुत पालन व पोषण के लिए पर्याप्त (राया) = धन से (अविड्ढि) = रक्षित करिए। वस्तुतः यदि हम अपने कर्त्तव्यपथ का आक्रमण करते हैं, तो प्रभु हमें पालन व पोषण के लिए पर्याप्त धन देते ही हैं 'तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमावहो हरिः ' । [२] हे प्रभो! आप (अस्मान्) = हमें (विश्वाभिः) = सब (ऊतिभिः) = रक्षणों द्वारा सुरक्षित करिए। हमें सदा आपका रक्षण प्राप्त हो ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- प्रभु हमें पर्याप्त धन व रक्षण प्राप्त कराते हैं ।
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

हे इन्द्र ! त्वं विश्वहा परीणसा राया सहास्मानविड्ढि विश्वाभिरूतिभिरस्मानविड्ढि ॥१२॥

पदार्थान्वयभाषाः - (अस्मान्) (अविड्ढि) प्रवेशय (विश्वहा) सर्वाणि दिनानि (इन्द्र) परमैश्वर्य्ययुक्त राजन् (राया) धनेन (परीणसा) बहुविधेन (अस्मान्) (विश्वाभिः) अखिलाभिः (ऊतिभिः) रक्षादिभिः क्रियाभिः ॥१२॥
भावार्थभाषाः - स एवोत्तमो राजा राजपुरुषाश्च ये सर्वतो रक्षणेन प्रजा धनाढ्याः कुर्य्युः ॥१२॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Ruler of the world, Indra, lead us on day and night with abundant wealth of all kinds, lead us on and on with all the protection and favours of divinity.
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आचार्य धर्मदेव विद्या मार्तण्ड

The importance of justice is further emphasized.

अन्वय:

O ruler! you are glorious and prosperous. All the time you have been scheming to provide us wealth and bring us into an era of prosperity. Moreover, you take us under your protective cover.

भावार्थभाषाः - Those rulers and State officials are ideal, who make their subjects wealthy and protect them well.
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे सर्व प्रकारे प्रजेचे रक्षण करून त्यांना धनवान बनवितात, तेच उत्तम राजा व राजपुरुष असतात. ॥ १२ ॥