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ओष॑धय॒: सं व॑दन्ते॒ सोमे॑न स॒ह राज्ञा॑ । यस्मै॑ कृ॒णोति॑ ब्राह्म॒णस्तं रा॑जन्पारयामसि ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

oṣadhayaḥ saṁ vadante somena saha rājñā | yasmai kṛṇoti brāhmaṇas taṁ rājan pārayāmasi ||

पद पाठ

ओष॑धयः । सम् । व॒द॒न्ते॒ । सोमे॑न । स॒ह । राज्ञा॑ । यस्मै॑ । कृ॒णोति॑ । ब्रा॒ह्म॒णः । तम् । रा॒ज॒न् । पा॒र॒या॒म॒सि॒ ॥ १०.९७.२२

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:97» मन्त्र:22 | अष्टक:8» अध्याय:5» वर्ग:11» मन्त्र:7 | मण्डल:10» अनुवाक:8» मन्त्र:22


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (ओषधयः) ओषधियाँ (सोमेन) सोमनामक ओषधिविशेष (राज्ञा सह) नीरोगकरण गुणों से राजमान के साथ (सं वदन्ते) संवाद करती हुई सी-एकाङ्ग होती हुई सी मानों कहती हैं (राजन्) हे नीरोगकरण गुणों से राजमान ! (ब्राह्मणः) विद्वान् वैद्य (यस्मै) जिस रोग के लिए (कृणोति) हमारा प्रयोग करता है, (तम्) उसे (पारयामसि) रोगसमुद्र से पार करती हैं ॥२२॥
भावार्थभाषाः - उत्तम गुणवाली रसायनरूप प्रधान ओषधी के साथ रोगनिवारक ओषधियाँ भी रोगी को रोगरूप दुःखसागर से पार करती हैं ॥२२॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

ज्ञानी के परामर्श से ओषधि-प्रयोग

पदार्थान्वयभाषाः - [१] ओषधियों का राजा सोम है । १८ तथा १९ मन्त्र संख्या पर इन्हें 'सोमराज्ञी:' कहा गया है। ये (ओषधयः) = ओषधियाँ मानो (राज्ञा सोमेन सह) = इस अपने राजा सोम के साथ (संवदन्ते) = संवाद करती हुई कहती हैं कि (राजन्) = हे सोमलते ! (यस्मै) = जिसकी रोगी के लिए (ब्राह्मणः) = एक ज्ञानी वैद्य (कृणोति) = हमें करता है (तम्) = उस रोगी को (पारयामसि) = हम रोग से पार करनेवाली होती हैं । [२] औषध के ठीक प्रभाव के लिए आवश्यक है कि इनका प्रयोग एक ज्ञानी वैद्य द्वारा ही करवाया जाए। ज्ञान की कमी के होने पर इनका समुचित प्रयोग न होकर हानि की भी संभावना है ही ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ - ओषधियों का प्रयोग ज्ञानी पुरुष के परामर्श से ही होना चाहिए ।
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (ओषधयः सोमेन) ओषधिविशेषेण (राज्ञा) यस्मिन् नीरोगकरण-गुणाः राजन्ते तेन (सह) सं वदन्ते संवादं कुर्वन्तीव (ब्राह्मणः) विद्वान् भिषक् (यस्मै कृणोति) यस्मै रुग्णाय-अस्माकं प्रयोगं करोति (राजन्) हे नीरोगकरणगुणैर्राजमान ओषधिविशेष ! (तं पारयामसि) तं रोगसमुद्रात् पारयामः ॥२२॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - The herbs joined together with the ruling radiant soma say: O ruling lord of health and life, for whosoever the sagely physician makes use of us we save and pilot him over suffering and disease.