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तस्मा॑द्य॒ज्ञात्स॑र्व॒हुत॒ ऋच॒: सामा॑नि जज्ञिरे । छन्दां॑सि जज्ञिरे॒ तस्मा॒द्यजु॒स्तस्मा॑दजायत ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

tasmād yajñāt sarvahuta ṛcaḥ sāmāni jajñire | chandāṁsi jajñire tasmād yajus tasmād ajāyata ||

पद पाठ

तस्मा॑त् । य॒ज्ञात् । स॒र्व॒ऽहुतः॑ । ऋचः॑ । सामा॑नि । ज॒ज्ञि॒रे॒ । छन्दां॑सि । ज॒ज्ञि॒रे॒ । तस्मा॑त् । यजुः॑ । तस्मा॑त् । अ॒जा॒य॒त॒ ॥ १०.९०.९

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:90» मन्त्र:9 | अष्टक:8» अध्याय:4» वर्ग:18» मन्त्र:4 | मण्डल:10» अनुवाक:7» मन्त्र:9


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (तस्मात् सर्वहुतः-यज्ञात्) उस सर्वहुत सङ्गमनीय परमात्मा से (ऋचः सामानि जज्ञिरे) ऋग्वेद के मन्त्र सामवेद के मन्त्र उत्पन्न हुए (तस्मात् छन्दांसि जज्ञिरे) उसी से अथर्ववेद के मन्त्र उत्पन्न हुए (तस्मात्-यजुः अजायत) उस परमात्मा से यजुर्वेद उत्पन्न हुआ ॥९॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा ने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद उत्पन्न किये हैं ॥९॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

ऋक्-साम-अथर्व-यजु

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (तस्माद्) = उस (यज्ञात्) = पूज्य (सर्वहुतः) = सब कुछ देनेवाले प्रभु से (ऋचः) = ऋचाएँ (जज्ञिरे) = प्रादुर्भूत हुईं। 'ऋच् स्तुतौ' धातु के अनुसार ये वे मन्त्र हैं जिनमें कि सब पदार्थों के गुणधर्मों का वर्णन है । सब प्रकृति सम्बद्ध विद्याएँ इन ऋचाओं का विषय हैं । [२] उस प्रभु से (सामानि) = साम मन्त्र प्रादुर्भूत हुए। ये वे मन्त्र हैं जो आत्मा की उपासना के साथ सम्बद्ध हैं। इसी से सामवेद का नाम ही उपासना वेद हो गया है। [३] (तस्मात्) = उस प्रभु से (छन्दांसि) = छन्द, अथर्व के मन्त्र प्रादुर्भूत हुए। इन्हें ‘छन्द' इसलिए कहा गया है कि ये मुख्यरूप से 'छद अपवारणे' रोगों व युद्धों का अपवारण करते हैं । [४] (तस्मात्) = उस प्रभु से ही (यजुः) = यज्ञों के प्रतिपादक यजुर्वेद के मन्त्र भी प्रादुर्भूत हुए। इन यज्ञों के द्वारा ही जीव ने इहलोक के अभ्युदय व परलोक के निःश्रेयस्य को सिद्ध करना है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ - प्रभु ने सृष्टि के प्रारम्भ में 'ऋग्, यजु, साम व अथर्व' का प्रकाश किया। इनके द्वारा क्रमशः प्रकृतिविद्या, कर्मविज्ञान, उपासना व रोगचिकित्सा युद्धविद्या का उपदेश दिया।
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (तस्मात् सर्वहुतः-यज्ञात्) तस्मात् पूर्वोक्तात् सर्वहुतः सङ्गमनीयात् परमात्मनः (ऋचः सामानि-जज्ञिरे) ऋग्वेदमन्त्राः-सामवेदमन्त्राः-उत्पन्नाः-प्रादुर्भूताः। (तस्मात्-छन्दांसि जज्ञिरे) तस्मादेव-अथर्ववेदमन्त्राः प्रादुर्भूताः “यदिदं किञ्च ऋचो यजूंषि सामानि-छन्दांसि [बृह० १।२।५] (तस्मात्-यजुः-अजायत) तस्मात् परमात्मनो यजुर्वेदः प्रादुर्भूतः ॥९॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - From that Lord of universal yajna were born the Rks and the Samans. From him were born the Chhandas and from him were bom the Yajus.