पत्नी के साथ मिलकर धन व पुत्रों की प्राप्ति
पदार्थान्वयभाषाः - [१] (सोमः) = सोम, जिसके लिये कन्या के माता-पिता ने अपनी कन्या को देने का निश्चय किया हुआ था, (गन्धर्वाय) = गन्धर्व के लिये (ददत्) = देनेवाला होता है । अर्थात् यदि सौम्यता के साथ ज्ञानयुक्त पति प्राप्त हो जाता है तो फिर सोम के साथ सम्बन्ध न करके इसी गन्धर्व के साथ सम्बन्ध करते हैं । गतमन्त्र के शब्दों में यह 'उत्तर' होता है। [२] (गन्धर्वः) = यह ज्ञानी (अग्नये) = प्रगतिशील मनोवृत्तिवाले के लिये (ददत्) = देनेवाला होता है। अर्थात् यदि सौम्यता और ज्ञान के साथ 'प्रगतिशीलता' का गुण भी मिल जाये तो वह पति 'उत्तम' होता है । यह (अग्निः) = प्रगतिशीलता के गुणवाला व्यक्ति भी अथो = अब इमाम् इसको मह्यं अदात् मुझ मानव के लिये देनेवाला होता है और वह मेरे लिये (रयिं च) = धन को प्राप्त कराता है (च) = और इस पत्नी के द्वारा (पुत्रान) = पुत्रों को वह मुझे प्राप्त करानेवाला होता है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- 'सौम्य' पति ठीक है, सौम्य से अधिक उत्कृष्ट 'ज्ञानी' है, उससे भी उत्कृष्ट 'प्रगतिशील स्वभाववाला' है। इसमें मानवता - दयालुता हो तो वह इसकी शोभा को और अधिक बढ़ा देती है।