' सोम- गन्धर्व-अग्नि-मनुष्यजा'
पदार्थान्वयभाषाः - [१] सब से (प्रथमः) = पहले (सोमः) = सोम विविदे इस कन्या को प्राप्त करता है । अर्थात् कन्या के माता-पिता सब से पहली बात तो यह देखते हैं कि पति 'सोम' है या नहीं। पति का स्वभाव सौम्य है या नहीं। [२] फिर इस कन्या को (गन्धर्वः) = ' गां वेदवाचं धारयति' ज्ञान की वाणियों को धारण करनेवाला पति प्राप्त करता है। यह (उत्तर:) = अधिक उत्कृष्ट होता है । 'सौम्यता' यदि पति का पहला गुण है तो 'ज्ञान की वाणियों को धारण करना' उसका दूसरा गुण है। [३] (तृतीयः) = तीसरे स्थान पर (अग्निः) = प्रगतिशील मनोवृत्तिवाला (ते पतिः) = तेरा पति है । अर्थात् तेरा पति वह है जो आगे बढ़ने की वृत्तिवाला है। जिसमें कोई महत्त्वाकांक्षा नहीं उसने क्या उन्नति करनी ? [४] (तुरीयः) = चौथा (ते पतिः) = तेरा पति वह है जो कि (मनुष्यजाः) = मनुष्य की सन्तान है, अर्थात् जिसमें मानवता है । जिसका स्वभाव दयालुतावाला है, क्रूरतावाला नहीं ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- पति में निम्न विशेषताएँ आवश्यक हैं— [क] सौम्यता, [ख] ज्ञान, [ग] प्रगतिशीलता, [घ] मानवता ।