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पुन॒: पत्नी॑म॒ग्निर॑दा॒दायु॑षा स॒ह वर्च॑सा । दी॒र्घायु॑रस्या॒ यः पति॒र्जीवा॑ति श॒रद॑: श॒तम् ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

punaḥ patnīm agnir adād āyuṣā saha varcasā | dīrghāyur asyā yaḥ patir jīvāti śaradaḥ śatam ||

पद पाठ

पुन॒रिति॑ । पत्नी॑म् । अ॒ग्निः । अ॒दा॒त् । आयु॑षा । स॒ह । वर्च॑सा । दी॒र्घऽआ॑युः । अ॒स्याः॒ । यः । पतिः॑ । जीवा॑ति । श॒रदः॑ । श॒तम् ॥ १०.८५.३९

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:85» मन्त्र:39 | अष्टक:8» अध्याय:3» वर्ग:27» मन्त्र:4 | मण्डल:10» अनुवाक:7» मन्त्र:39


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (अग्निः) वैवाहिक अग्नि (पत्नीं पुनः) पत्नी-पत्नीभाव को प्राप्त हुई कन्या को पुनः (आयुषा वर्चसा-अदात्) आयु से और तेज सम्पन्न की हुई को देती है, किसके लिये देती है ? यह कहा जाता है (अस्याः-यः पतिः) इसका जो पति (दीर्घायुः शरदः शतं जीवाति) दीर्घायु होता हुआ सौ वर्षों तक जीवित रहे ॥३९॥
भावार्थभाषाः - विवाह में अग्नि के सम्पर्क से कन्या-वधू तेज और आयु से सम्पन्न हो जाती है और जो दीर्घायु सौ वर्षों तक जीने के योग्य हो, ऐसे पति के लिये दी जानी चाहिये ॥३९॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

सम्बन्ध के ठीक होने पर 'दीर्घजीवन'

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (अग्निः) = आचार्य, जिसे कि कन्या के माता-पिता ने कन्या के सम्बन्ध का कार्यभार सौंपा था, (पुनः) = फिर (पत्नीम्) = पत्नी को पति के लिये (अदात्) = देता है। वह उस पत्नी को (आयुषा वर्चसा सह) = आयुष्य और वर्चस [शक्ति] के साथ पति के लिये प्राप्त कराता है। पत्नी दीर्घायुष्य व वर्चस्वाली बनती है। [२] (अस्या:) = इस पत्नी का (यः पतिः) = जो पति है वह भी (दीर्घायुः) = दीर्घजीवनवाला होता है और (शतं शरद:) = सौ वर्ष (जीवाति) = जीनेवाला होता है । आचार्य ठीक सम्बन्ध कराके इन पति-पत्नी के दीर्घजीवन का कारण बनता है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- पति-पत्नी के ठीक सम्बन्ध पर इनके दीर्घजीवन का निर्भर है।
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (अग्निः पत्नीं पुनः-आयुषा-वर्चसा-अदात्) वैवाहिकाग्निः पत्नीं पत्नीभावं प्राप्ताम् “पत्युर्नो यज्ञसंयोगे” [अष्टा० ४।१।३३] आयुषा वर्चसा सम्पन्नां तां वधूं पुनः प्रयच्छति कस्मै प्रयच्छतीत्युच्यते (अस्याः-यः-पतिः-दीर्घायुः शरदः शतम्-जीवाति) अस्याः पतिः स दीर्घायुः सन् शतवर्षाणि जीव्यात् ॥३९॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Agni then gives Surya, now a wife, when the wedding ceremony is complete, to the husband along with her health and age, honour and lustre of life with the blessing: Long live the man who is her husband for a full hundred years.