वांछित मन्त्र चुनें

सू॒र्यायै॑ दे॒वेभ्यो॑ मि॒त्राय॒ वरु॑णाय च । ये भू॒तस्य॒ प्रचे॑तस इ॒दं तेभ्यो॑ऽकरं॒ नम॑: ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

sūryāyai devebhyo mitrāya varuṇāya ca | ye bhūtasya pracetasa idaṁ tebhyo karaṁ namaḥ ||

पद पाठ

सू॒र्यायै॑ । दे॒वेभ्यः॑ । मि॒त्राय॑ । वरु॑णाय । च॒ । ये । भू॒तस्य॑ । प्रऽचे॑तसः । इ॒दम् । तेभ्यः॑ । अ॒क॒र॒म् । नमः॑ ॥ १०.८५.१७

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:85» मन्त्र:17 | अष्टक:8» अध्याय:3» वर्ग:23» मन्त्र:2 | मण्डल:10» अनुवाक:7» मन्त्र:17


0 बार पढ़ा गया

ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सूर्यायै) तेजस्विनी वधू के लिये (देवेभ्यः) विद्वानों के लिये (मित्राय) मित्र-सम्बन्धी के लिये (च) और (वरुणाय) वरणीय पुत्र के लिये (भूतस्य ये प्रचेतसः) प्राणी को मात्र जो ज्ञान देनेवाले हैं, (तेभ्यः) उनके लिये (इदं नमः) यह अन्नादि वस्तु मैं गृहपति समर्पित करता हूँ, देता हूँ ॥१७॥
भावार्थभाषाः - गृहपति का कर्तव्य है कि वधू के लिए तथा विद्वानों, मित्र, सम्बन्धियों, सन्तानों, ज्ञान देनेवालों के लिए अन्नादि आवश्यक वस्तु को देता रहे ॥१७॥
0 बार पढ़ा गया

हरिशरण सिद्धान्तालंकार

वरपक्षवालों के लिये प्रस्थान काल में 'नमस्कार'

पदार्थान्वयभाषाः - [१] अब विवाह सम्पन्न हो जाने पर जब सूर्या पतिगृह की ओर जाने के लिये रथ पर आरूढ़ हो जाती है तो विदा देते हुए कन्या पक्षवाले सब व्यक्ति सर्वप्रथम ('सूर्यायै') = सूर्या के लिये (नमः अकरम्) = नमस्कार करते हैं। सूर्या को यही प्रेरणा देते हैं कि तूने इस कुल व उस कुल की लाज रखने के लिये शुभ व्यवहार ही करना है । तेरा व्यवहार ही हमारे मानापमान का कारण बनेगा, सो बड़ा ध्यान करना । नमस्करणीय बने रहना । [२] (देवेभ्यः) = अब बरात के साथ आये देवों के लिये (नमः प्रकरम्) = हम नमस्कार करते हैं । आपने इस सब प्रसंग की शोभा बढ़ाकर हमें कृतकृत्य किया । [३] मित्राय वरुणाय (च) = वर के माता-पिता के लिये, जो कि स्नेह व निद्वेषता की भावना से ओतप्रोत हैं, उनके लिये तो हम नमस्कार करते ही हैं। वे तो हमारे लिये सदा नमस्करणीय होंगे ही। इन नव दम्पती में वे स्नेह व अद्वेष को भरने का ध्यान करेंगे। [४] इनके अतिरिक्त ये (भूतस्य प्रचेतसः) = जो प्राणियों के प्रकृष्ट ध्यान करनेवाले देव हैं (तेभ्यः) = उन सब देवों के लिये (इदं नमः अकरम्) = इस नमस्कार को करते हैं । सब देव इन नव दम्पती का भी रक्षण करें। सब देवों का अनुग्रह इनकी समृद्धि का कारण बने ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ - कन्या पक्षवाले 'सूर्या' के प्रस्थान के समय सूर्या को नमस्कार करते हुए सबको नमस्कार पूर्वक विदा देते हैं ।
0 बार पढ़ा गया

ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (सूर्यायै) तेजस्विन्यै वध्वै स्वपत्न्यै (देवेभ्यः) विद्वद्भ्यः (मित्राय) सख्ये (च) तथा (वरुणाय) वरणीयाय पुत्राय (भूतस्य ये प्रचेतसः) प्राणिमात्रस्य प्रचेतयितारः (तेभ्यः-इदं नमः) तेभ्यो एतदन्नादिकं वस्तु (अकरम्) अहं गृहपतिः करोमि-ददामि ॥१७॥
0 बार पढ़ा गया

डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - This homage I do and offer to Surya, the dawn, the divinities, the loving friend and the wise for the sake of intelligent progeny and to all those who know and enlighten all living beings.