यो विश्वा॒भि वि॒पश्य॑ति॒ भुव॑ना॒ सं च॒ पश्य॑ति । स न॑: पर्ष॒दति॒ द्विष॑: ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
मन्त्र उच्चारण
yo viśvābhi vipaśyati bhuvanā saṁ ca paśyati | sa naḥ parṣad ati dviṣaḥ ||
पद पाठ
यः । विश्वा॑ । अ॒भि । वि॒ऽपश्य॑ति । भुव॑ना । सम् । च॒ । पश्य॑ति । सः । नः॒ । प॒र्ष॒त् । अति॑ । द्विषः॑ ॥ १०.१८७.४
ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:187» मन्त्र:4
| अष्टक:8» अध्याय:8» वर्ग:45» मन्त्र:4
| मण्डल:10» अनुवाक:12» मन्त्र:4
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ब्रह्ममुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (यः) जो परमेश्वर (विश्वा) सब (भुवना) लोकलोकान्तरों प्राणियों को (अभिविपश्यति) सम्मुख बाह्य देखता है जानता है (च) और (सं पश्यति) अन्दर स्वरूप को देखता है (स नः०) पूर्ववत् ॥४॥
भावार्थभाषाः - परमेश्वर सब लोकलोकान्तरों प्राणियों को बाहिर भीतर से जानता है, दुष्टों को दूर करता है, स्तुति करने योग्य है ॥४॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार
'सर्वप्रकाशक व पालक' प्रभु
पदार्थान्वयभाषाः - [१] (यः) = जो प्रभु (विश्वा भुवना) = सब प्राणियों को (अभि विपश्यति) = आभिमुख्येन प्रकाशित कर रहे हैं, (च) = और (संपश्यति) = सम्यक् देख रहे हैं, अर्थात् सब का ध्यान कर रहे हैं, (सः) = वे प्रभु (नः) = हमें (द्विषः) = सब द्वेष भावनाओं से (अतिपर्षत्) = पार करें। [२] 'प्रभु ही सब को प्रकाश प्राप्त कराते हैं और सबका रक्षण करते हैं' इस भाव के उदित होने पर द्वेष का सम्भव ही नहीं रहता ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ-' प्रभु ही हम सब के पालक हैं' यह भाव हमें द्वेष से ऊपर उठाकर परस्पर एकता का अनुभव कराये ।
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ब्रह्ममुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (यः-विश्वा भुवना) यः परमेश्वरः सर्वाणि लोकलोकान्तराणि भूतानि च (अभिविपश्यति) सम्मुखं बाह्यं पश्यति-जानाति (च) तथा (सम्पश्यति) अन्तस्तः पश्यति जानाति (स नः०) पूर्ववत् ॥४॥
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डॉ. तुलसी राम
पदार्थान्वयभाषाः - Who watches all the regions of the universe in their formal diversity as well as in their essential unity and integrity may, we pray, cast off our hate, jealousy and enmity and make us clean and immaculate.
