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ग्रावा॑णः सवि॒ता नु वो॑ दे॒वः सु॑वतु॒ धर्म॑णा । यज॑मानाय सुन्व॒ते ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

grāvāṇaḥ savitā nu vo devaḥ suvatu dharmaṇā | yajamānāya sunvate ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

ग्रावा॑णः । स॒वि॒ता । नु । वः॒ । दे॒वः । सु॒व॒तु॒ । धर्म॑णा । यज॑मानाय । सु॒न्व॒ते ॥ १०.१७५.४

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:175» मन्त्र:4 | अष्टक:8» अध्याय:8» वर्ग:33» मन्त्र:4 | मण्डल:10» अनुवाक:12» मन्त्र:4


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (ग्रावाणः) हे विद्वानों ! (वः) तुम्हें (सविता देवः-नु) प्रेरक विजयेच्छुक राजा शीघ्र (धर्मणा-सुवतु) कर्त्तव्य कर्म के द्वारा प्रेरित करता है (सुन्वते यजमानाय) राष्ट्र को बढ़ानेवाले प्रजाजन के लिए ॥४॥
भावार्थभाषाः - राजा राष्ट्र को बढ़ानेवाले प्रजाजन के लिए स्वयं कर्तव्यपरायण रहे और राष्ट्र के अधिकारी विद्वानों को भी कर्तव्यपरायण रहने का आदेश दे ॥४॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

यजमान व सुन्वन्

पदार्थान्वयभाषाः - [१] हे (ग्रावाणः) = स्तोता लोगो ! (नु) = अब (सविता देवः) = वह प्रेरक प्रकाश का पुञ्ज प्रभु (व:) = तुम्हें (धर्मणा सुवतु) = धारणात्मक कर्मों के हेतु से प्रेरणा दे । प्रभु की प्रेरणा के अनुसार होनेवाले सब कार्य धारणात्मक ही होंगे। [४] प्रभु हमें इसलिए प्रेरणा प्राप्त करायें कि हम (यजमानाय) = यज्ञशील बन सकें तथा सुन्वते सोम का सम्पादन कर सकें। वस्तुतः यज्ञ की प्रवृत्तिवाले, सोम का सम्पादन करनेवाले लोगों को ही प्रभु की प्रेरणा प्राप्त होती है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ - हम 'यजमान व सुन्वन्' बनें, जिससे प्रभु प्रेरणा को प्राप्त करने के लिये पात्र हों । सूक्त का मुख्य विषय ही है कि स्तोता को प्रभु पवित्र कर्मों की प्रेरणा प्राप्त कराते हैं । इस प्रेरणा के अनुसार चलनेवाला ही शिखर पर पहुँचता है। यह प्रेरणा को प्राप्त करनेवाला 'सूनु' है, यह प्रभु का सच्चा पुत्र है, इसीलिए 'आर्भव' = ऋभुओं का सन्तान, अर्थात् खूब ही चमकनेवाला बनता है। अगले सूक्त का यही ऋषि है। इनके जीवन का चित्रण इस प्रकार है-
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (ग्रावाणः) हे विद्वांसः ! (वः) युष्मान् (सविता देवः-नु) प्रेरयिता देवः-शीघ्रम् (धर्मणा सुवतु) कर्त्तव्यकर्मणा प्रेरयतु प्रेरयति (सुन्वते यजमानाय) राष्ट्रं वर्धयते प्रजाजनाय ॥४॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O Gravana, sagely participants in national rule and development with the ruler and the people, may Savita, lord creator, the Ruler and the cooperative people, all generous and brilliant, inspire you with Dharmaby Dharma for the generous creative yajamana, the ruler in council with the people in the Rashtra yajna.