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अ॒भि त्वा॑ दे॒वः स॑वि॒ताभि सोमो॑ अवीवृतत् । अ॒भि त्वा॒ विश्वा॑ भू॒तान्य॑भीव॒र्तो यथास॑सि ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

abhi tvā devaḥ savitābhi somo avīvṛtat | abhi tvā viśvā bhūtāny abhīvarto yathāsasi ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अ॒भि । त्वा॑ । दे॒वः । स॒वि॒ता । अ॒भि । सोमः॑ । अवीवृतत् । अ॒भि । त्वा॒ । विश्वा॑ । भू॒तानि॑ । अ॒भि॒ऽव॒र्तः । यथा॑ । अस॑सि ॥ १०.१७४.३

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:174» मन्त्र:3 | अष्टक:8» अध्याय:8» वर्ग:32» मन्त्र:3 | मण्डल:10» अनुवाक:12» मन्त्र:3


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (त्वा) हे अभीवर्त हवि ! विजय का साधन गन्धमय धूम तुझे (सविता देवः) अग्निदेव (अभि-अवीवृतत्) शत्रुओं के प्रति पुनः-पुनः प्रवृत्त करता है-फैलाता है (सोमः) वायु (अभि) शत्रुओं के प्रति प्रेरित करता है (विश्वा भूतानि) सारी वस्तुओं को (यया-अभीवर्तः) जिससे कि आक्रमण साधनभूत प्रयोग (अससि) तू सफल होवे ॥३॥
भावार्थभाषाः - इस गन्धकयुक्त धूमप्रयोग को अग्नि प्रज्वलित करता है और वायु फैलाता है, उसका प्रभाव सभी वस्तुओं तक जाता है, ये साधन संग्राम में सफल होने के लिए हैं ॥३॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

अभीवर्त राजा

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (सविता देवः) = सबका प्रेरक विजेता प्रभु (त्वा) = तुझे (अभि अवीवृतत्) = [अभिगमयतु] के प्रति आक्रमण करनेवाला बनाये। (सोमः) = राष्ट्र का प्रमुख ब्रह्मज्ञानी पुरुष [ उमया सहितः ] (अभि) [ अवीवृतत् ] = तुझे शत्रु के प्रति आक्रमण करने के लिये प्रेरित करे । [२] (विश्वाभूतानि) = राष्ट्र के सब प्रजावर्ग (त्वा) = तुझे (अभि) = शत्रु के अभिमुख जानेवाला करें। (यथा) = जिससे (अभीवर्तः अससि) = तू अभीवर्त बने, शत्रुओं पर आक्रमण करनेवाला बने ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ - प्रभु से, प्रमुख पुरोहित से, प्रजा से प्रेरित होकर पृथिवीपाल पृतन्यन् पुरुषों को पराजित करे।
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (त्वा) हे अभीवर्त हविः ! त्वाम् (सविता देवः) अग्निर्देवः “अग्निरेव सविता” [गो० पू० १।३३] (अभि-अवीवृतत्) शत्रून् प्रति पुनः पुनर्वर्तेत (सोमः) वायुः “योऽयं वायुः पवते एष सोमः” [श० ७।३।१।१] (अभि) शत्रून्-अभिगच्छति (विश्वा भूतानि) सर्वाणि वस्तूनि (यथा-अभीवर्तः) आक्रमणसाधनभूतः प्रयोगः (अससि) भवेः ॥३॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - May the self-refulgent Savita, creative sun, Soma, nature’s spirit of peace and joy, and all the forms of matter, energy, thought and life of the universe, ever advance you so that you may rule over the world.