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आयु॑र्वि॒श्वायु॒: परि॑ पासति त्वा पू॒षा त्वा॑ पातु॒ प्रप॑थे पु॒रस्ता॑त् । यत्रास॑ते सु॒कृतो॒ यत्र॒ ते य॒युस्तत्र॑ त्वा दे॒वः स॑वि॒ता द॑धातु ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

āyur viśvāyuḥ pari pāsati tvā pūṣā tvā pātu prapathe purastāt | yatrāsate sukṛto yatra te yayus tatra tvā devaḥ savitā dadhātu ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

आयुः॑ । वि॒श्वऽआ॑युः । परि॑ । पा॒स॒ति॒ । त्वा॒ । पू॒षा । त्वा॒ । पा॒तु॒ । प्रऽप॑थे । पु॒रस्ता॑त् । यत्र॑ । आस॑ते । सु॒ऽकृतः॑ । यत्र॑ । ते । य॒युः । तत्र॑ । त्वा॒ । दे॒वः । स॒वि॒ता । द॒धा॒तु॒ ॥ १०.१७.४

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:17» मन्त्र:4 | अष्टक:7» अध्याय:6» वर्ग:23» मन्त्र:4 | मण्डल:10» अनुवाक:2» मन्त्र:4


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (विश्वायुः) सब प्रकार की आयु-सांसारिक और मोक्षपथ की आयु जिसमें प्राप्त हो, वह ऐसा परमात्मा (आयुः) आश्रयरूप है (त्वा) हे पात्र ! शिष्य ! तुझे (पासति) सुरक्षित रखता है (प्रपथे पुरस्तात्) पथाग्र पर पूर्व से ही (पूषा पातु) वह पोषणकर्ता परमात्मा तेरी रक्षा करे (सुकृतः) पुण्यकर्मवाले मुमुक्षुजन-मुमुक्षु आत्माएँ (यत्र-आसते) जहाँ मोक्ष में रहते हैं, (यत्र ते ययुः) जहाँ मोक्ष में वे गये हैं, (तत्र त्वा देवः सविता दधातु) वहाँ तुझे वह उत्पादक परमात्मदेव स्थापित करता है ॥४॥
भावार्थभाषाः - सब प्रकार की आयु देनेवाला स्वयं आयुरूप शरण परमात्मा उपासक या सत्पात्र आत्मा की रक्षा करता है। वह जीवनयात्रा के पथाग्र-मार्ग के मुख पर प्रथम ही रक्षण करता है, पुण्य आत्माओं को मोक्ष में पहुँचाता है ॥४॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

पुण्यात्म पुरुषों का मार्ग

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (आयुः) = [एति] गतिशील, स्वाभाविक क्रिया वाला, (विश्वायुः) = सम्पूर्ण क्रिया वाला वह प्रभु (त्वा) = तेरी (परिपासति) = रक्षा करता है । [२] (पूषा) = यह पोषण करनेवाला परमात्मा (त्वा) = तुझे (प्रपथे) = प्रकृष्ट मार्ग में (पुरस्तात्) = आगे-आगे (पातु) = रक्षित करनेवाला हो । [३] (यत्र) = जहाँ (सुकृतः) = पुण्यशाली लोग (आसते) = विराजते हैं, (यत्र) = जिस मार्ग पर (ते) = वे पुण्यशाली लोग (ययुः) = चलते हैं, (तत्र) = उस मार्ग पर (त्वा) = तुझे (सविता देवः) = सब का प्रेरक दिव्यगुणों का पुंज प्रभु (दधातु) = स्थापित करे । [४] सम्पूर्ण क्रिया के स्रोत वे प्रभु ही हैं। उनकी यह क्रियाशीलता ही जीव का पोषण करती है इसी से ये प्रभु पूषा कहलाते हैं । ये पूषा प्रभु हमारा रक्षण करें, हमें जीवन मार्ग में आगे ले चलें। इस पूषन देव की कृपा से हमारा मार्ग वही हो जो कि पुण्यशील पुरुषों का मार्ग होता है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- हम उसी मार्ग से चलें जिस मार्ग से कि पुण्यात्मा लोग चला करते हैं ।
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (विश्वायुः) विश्वं सर्वं प्रकारकमायुः सांसारिकं मोक्षगतं चायुर्यस्मात् प्राप्यते तथाभूतः सः (आयुः) आश्रयः परमात्मा (त्वा) हे पात्र ! शिष्य ! त्वाम् (पासति) रक्षेत् “पाधातोर्लेटि सिपि’ (प्रपथे) पथाग्रे (पुरस्तात्) पूर्वतः (पूषा पातु) पोषयिता परमात्मा रक्षतु (सुकृतः) सुकर्माणो मुमुक्षवः (यत्र-आसते) यत्र मोक्षे तिष्ठन्ति (यत्र ते ययुः) यत्र मोक्षे ते गताः (तत्र त्वा देवः सविता दधातु) तत्र त्वां स उत्पादकः परमात्मदेवः-स्थापयतु-स्थापयति ॥४॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - Pusha, life of the world and giver of life and nourishment, may protect you all round and inspire and promote you on the path forward, and may Savita, self- refulgent lord of light and vision, guide you where men of noble action reach, and stabilise you where they abide.