वांछित मन्त्र चुनें

यत्ते॑ कृ॒ष्णः श॑कु॒न आ॑तु॒तोद॑ पिपी॒लः स॒र्प उ॒त वा॒ श्वाप॑दः । अ॒ग्निष्टद्वि॒श्वाद॑ग॒दं कृ॑णोतु॒ सोम॑श्च॒ यो ब्रा॑ह्म॒णाँ आ॑वि॒वेश॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

yat te kṛṣṇaḥ śakuna ātutoda pipīlaḥ sarpa uta vā śvāpadaḥ | agniṣ ṭad viśvād agadaṁ kṛṇotu somaś ca yo brāhmaṇām̐ āviveśa ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

यत् । ते॒ । कृ॒ष्णः । श॒कु॒नः । आ॒ऽतु॒तोद॑ । पि॒पी॒लः । स॒र्पः । उ॒त । वा॒ । श्वाप॑दः । अ॒ग्निः । तत् । वि॒श्व॒ऽअत् । अ॒ग॒दम् । कृ॒णो॒तु॒ । सोमः॑ । च॒ । यः । ब्रा॒ह्म॒णान् । आ॒ऽवि॒वेश॑ ॥ १०.१६.६

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:16» मन्त्र:6 | अष्टक:7» अध्याय:6» वर्ग:21» मन्त्र:1 | मण्डल:10» अनुवाक:1» मन्त्र:6


0 बार पढ़ा गया

ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (यत्-ते कृष्णः शकुनः पिपीलः सर्पः-उत वा श्वापदः-आतुतोद) हे जीव ! इस सांसारिक जीवनयात्रा में गृध्र आदि पक्षी, पिपीलिका आदि कृमि, सर्पादि विषमय प्राणी अथवा व्याघ्रादि हिंसक पशु जिस-जिस अङ्ग को पीड़ित वा विकृत करते हैं, (विश्वात्-अग्निः-तत्-अगदं कृणोतु सोमः-च यः-ब्राह्मणान्-आविवेश) उस-उस अङ्ग को विश्वभक्षक अग्नि और ब्रह्मवेत्ताओं को प्राप्त हुआ सोम स्वस्थ कर देता है ॥६॥
भावार्थभाषाः - अग्नि और सोम विश्वभैषज और सर्वभयनिवारक पदार्थ हैं। यह एक आयुर्वेदिक और रक्षाविज्ञान का सिद्धान्त वर्णित है। मनुष्य-जीवन में भयानक पक्षी, कृमि, सर्प और व्याघ्रादि प्राणियों से प्राप्त भय और पीड़ा का निवारण अग्नि और सोम से करना चाहिये। तथा उक्त जन्तुओं से आक्रमित मरे हुये मनुष्य का अग्नि सोम द्वारा शवदहन करने से रोगसंक्रामक कारणों का प्रतिकार हो जाता है, क्योंकि ऐसा किये बिना अन्य प्राणी उनके विषसम्पर्क आदि से बच न सकेंगे ॥६॥
0 बार पढ़ा गया

हरिशरण सिद्धान्तालंकार

अग्नि व सोम द्वारा चिकित्सा [विष-प्रतीकार]

पदार्थान्वयभाषाः - [१] यहाँ नगरों में रहते हुए हम अनुभव करते हैं कि कुत्ते के काटने से कितने ही व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है। इसी प्रकार वानप्रस्थ में, जहाँ कि मकानों व पलंगों का स्थान कुटिया व भूमि ही ले लेती है, कृमि कीट के दंश की अधिक आशंका हो सकती है। सो कहते हैं कि (यत्) = जब (कृष्णः शकुनः) = यह काला पक्षी कौआ अथवा द्रोणकाक [= काकोल] (ते) = तुझे (आतुतोद) = पीड़ित करता है, (पिपीलः) = कीड़ा-मकोड़ा तुझे काट खाता है, (सर्प:) = साँप डस लेता है, (उत वा) = अथवा (श्वापदः) = कोई (हिंस्र) = पशु तुझे घायल कर देता है, (तत्) = तो (विष्वात्) = [विश्व + अद्] सब विष आदि को भस्म कर देनेवाली (अग्निः) = आग (अगदं कृणोतु) = तुझे नीरोग करनेवाली हो। सर्पादि के दंश के होने पर उस विषाक्त स्थल को अग्नि के प्रयोग से जलाकर विष प्रभाव को समाप्त करना अभीष्ट हो सकता है। विद्युत् चिकित्सा में कुछ इसी प्रकार का प्रभाव डाला जाता है। [२] यह अग्नि प्रयोग तभी सफल हो पाता है यदि शरीर में रोग से संघर्ष करनेवाली वर्च:शक्ति [vitality] ठीक रूप में हो। इस वर्चस् शक्ति के न होने पर बाह्य उपचार असफल ही रहते हैं। इसीलिए मन्त्र में कहते हैं कि (सोमः च) = यह सोम भी, वीर्यशक्ति भी तुझे नीरोग करे, (यः) = जो सोमशक्ति (ब्राह्मणान्) = ज्ञानी पुरुषों में (आविवेश) = प्रवेश करती है। ज्ञानी लोग सोम के महत्त्व को समझकर उसे सुरक्षित रखने के लिये पूर्ण प्रयत्न कहते हैं। नासमझी में ही इस सोम का अपव्यय हुआ करता है। शरीरस्थ यह सोम ही वस्तुतः सब विकारों के साथ संघर्ष करता है और उन्हें दूर करनेवाला होता है। औषधोपचारों का स्थान गौण है, वे इसके सहायक मात्र होते हैं।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- पक्षी, कृमि, कीट, सर्प, हिंस्र पशुओं से उत्पन्न किये गये विकारों को अग्नि के प्रयोग से तथा शरीर में सोम के संरक्षण से हम दूर करनेवाले हों ।
0 बार पढ़ा गया

ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (यत्-ते कृष्णः-शकुनः पिपीलः-सर्पः-उत वा श्वापदः-आतुतोद) बहुविज्ञानोऽयं मन्त्रस्तत्रेह प्रथमः प्रकारः। हे जीव ! अत्र सांसारिकजीवनयात्रायां कृष्णः शकुनो गृध्रः पिपीलः पिपीलिका सर्प उत वा श्वापदो हिंस्रपशुस्ते यदङ्गमातुतोद-आतुदति पीडयति। सामान्ये काले लिट् [अष्टा०३।४।६] (विश्वात्-अग्निः तत्-अगदं कृणोतु सोमः-च यः ब्राह्मणान्-आविवेश) सर्वभक्षकोऽग्निस्तदङ्गमगदं करोतु-करोति सोमरसो यो ब्राह्मणान् ब्रह्मविदो योगिनो जनान्-आविशति प्राप्नोति। ब्रह्म जानातीति ब्राह्मणः। तथा च-“येन केनचिदाछन्नो येन केन चिदाशितः। यत्र क्वचन शायी च तं देवा ब्राह्मणं विदुः॥ विमुक्तं सर्वसङ्गेभ्यो मुनिमाकाशवत्स्थितम्। अस्वमेकचरं शान्तं तं देवा ब्राह्मणं विदुः” [महाभारते] ॥६॥
0 बार पढ़ा गया

डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O soul, in the course of life, whatever fear, harm or injury darkness, dark ones, birds, beasts, insects or reptiles may do to your body, may Agni and Soma and Soma science known to experts heal that and restore you back to good health.