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आ॒दि॒त्यैरिन्द्र॒: सग॑णो म॒रुद्भि॑र॒स्माकं॑ भूत्ववि॒ता त॒नूना॑म् ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ādityair indraḥ sagaṇo marudbhir asmākam bhūtv avitā tanūnām ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

आ॒दि॒त्यैः । इन्द्रः॑ । सऽग॑णः । म॒रुत्ऽभिः॑ । अ॒स्माक॑म् । भू॒तु॒ । अ॒वि॒ता । त॒नू॑नाम् ॥ १०.१५७.३

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:157» मन्त्र:3 | अष्टक:8» अध्याय:8» वर्ग:15» मन्त्र:3 | मण्डल:10» अनुवाक:12» मन्त्र:3


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्र सगणः) राजा को अपने सभागण के साथ (आदित्यैः) अखण्डित न्यायाधीशों के साथ (मरुद्भिः) सैनिकों के साथ (अस्माकं तनूनाम्) हमारे जैसे जीवों के (अविता भूतु) रक्षक हो ॥३॥
भावार्थभाषाः - राजा अपने सभ्यगण न्यायाधीशों और सैनिकों सहित प्रजाजनों की रक्षा किया करें ॥३॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

सर्वदेवानुकूल्य व स्वास्थ्य

पदार्थान्वयभाषाः - [१] प्रभु हमारे जीवनों में पञ्चभूतों के प्रथम गण का स्थापन करते हैं 'पृथिवी, जल, तेज, वायु व आकाश' 'प्राण, अपान, व्यान, समान, उदान' नाम का प्राण पञ्चक है। तीसरा कर्मेन्द्रिय पञ्चक, चौथा ज्ञानेन्द्रिय पञ्चक और पाँचवाँ अन्तकरण पञ्चक 'मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार और हृदय'। वह (इन्द्रः) = परमैश्वर्यशाली प्रभु (सगणः) = इन गणों के साथ तथा (आदित्यैः) अदिति के पुत्रों सूर्य, चन्द्र, नक्षत्रादि के साथ तथा (मरुद्भिः) = [ मरुतः प्राणाः] प्राणों के साथ (अस्माकम्) = हमारे (तनूनाम्) = शरीरों के (अविता भूतु) = रक्षक हों । [२] वस्तुतः प्रभु प्राणपञ्चक आदि गणों के द्वारा हमारे शरीरों का कल्याण करते हैं। इस प्राणसाधना के साथ सूर्यादि सब देवों की भी हमें अनुकूलता प्राप्त होती है । इस अनुकूलता में ही स्वास्थ्य है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सर्वदेवानुकूल्य के प्राप्त करके हम स्वस्थ शरीर बनें।
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (इन्द्रः सगणः) राजा सभ्यगणेन सह (आदित्यैः) अखण्डित-न्यायाधीशैः सह, तथा (मरुद्भिः) सैनिकैः सह च “असौ या सेना मरुतः परेषामस्मानेत्यभ्योजसा स्पर्धमानाः तां विध्यत तमसापवृतेन यथैषामन्योऽन्यं न जानात्” (अस्माकं तनूनाम्-अविता भूतु) अस्मादृशानां जीवानां रक्षको भवतु ॥३॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - May Indra, ruling power of the world with all its natural and human forces, winds and stormy troops across the sun’s phases over the year, be the protector and promoter of our health of body and social organisations.