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न वा अ॑रण्या॒निर्ह॑न्त्य॒न्यश्चेन्नाभि॒गच्छ॑ति । स्वा॒दोः फल॑स्य ज॒ग्ध्वाय॑ यथा॒कामं॒ नि प॑द्यते ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

na vā araṇyānir hanty anyaś cen nābhigacchati | svādoḥ phalasya jagdhvāya yathākāmaṁ ni padyate ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

न । वै । अ॒र॒ण्या॒निः । ह॒न्ति॒ । अ॒न्यः । च॒ । इत् । न । अ॒भि॒ऽगच्छ॑ति । स्वा॒दोः । फल॑स्य । ज॒ग्ध्वाय॑ । य॒था॒ऽकाम॑म् । नि । प॒द्य॒ते॒ ॥ १०.१४६.५

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:146» मन्त्र:5 | अष्टक:8» अध्याय:8» वर्ग:4» मन्त्र:5 | मण्डल:10» अनुवाक:11» मन्त्र:5


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (अरण्यानिः) अरण्यानी (न वै-हन्ति) किसी को नहीं मारती है (अन्यः-चेत्) अन्य यदि (न-अभिगच्छति) नहीं आक्रमण करे (स्वादु फलं जग्ध्वाय) स्वादु फल को खाकर (यथाकामं नि पद्यते) यथेष्ट अपने घर को चला जाता है ॥५॥
भावार्थभाषाः - अरण्यानी किसी को मारती नहीं है अर्थात् उसमें रहनेवाले जंगली पशु किसी को नहीं मारते हैं, यदि कोई उन पर आक्रमण नहीं करे। अरण्यानी में वन्य फल भी खाने को मिलते हैं ॥५॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

अहिंसा

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (अरण्यानिः) = गति व ज्ञान में उत्तम यह वनस्थ पुरुष (वा) = निश्चय से (न हन्ति) = हिंसा नहीं करता है, (चेत्) = यदि (अन्यः) = दूसरे हिंस्र पशु (न अधिगच्छति) = इस पर आक्रमण नहीं करते । यह शिकार आदि के शौक से इन पशुओं का कभी हिंसन नहीं करता। यदि अचानक कोई हिंस्र पशु आश्रम में उपद्रव ही कर दे, तब तो उससे रक्षण आवश्यक होता ही है । [२] यह वनस्थ पुरुष (स्वादोः फलस्य जग्ध्वाय) = वन के स्वादिष्ट फलों को खाकर (यथाकामम्) = प्रभु की कामना के अनुसार (निपद्येत) = [पद् गतौ] निश्चय से कार्यों में प्रवृत्त रहता है। 'सादा खाना, सतत कार्यों में प्रवृत्त रहना' यह इसका जीवनसूत्र बन जाता है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ -वनस्थ पुरुष अहिंसा की वृत्ति से चलता है। यह सादा भोजन करता हुआ सतत कार्य प्रवृत्त रहता है।
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (अरण्यानिः-न वै हन्ति) अरण्यानी न च कमपि हन्ति (अन्यः-चेत्-न अभिगच्छति) यदि कश्चिदन्यो नाक्रामेत् (स्वादुफलं जग्ध्वाय) स्वादु फलं भुक्त्वा (यथा कामं नि पद्यते) यथेष्टं स्वगृहं नियतं प्राप्नोति ॥५॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - The forest does not hurt anyone. Whoever goes to the forest without the intent to damage eats the delicious fruit and roams around as he wishes at will.