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न॒ह्य॑स्या॒ नाम॑ गृ॒भ्णामि॒ नो अ॒स्मिन्र॑मते॒ जने॑ । परा॑मे॒व प॑रा॒वतं॑ स॒पत्नीं॑ गमयामसि ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

nahy asyā nāma gṛbhṇāmi no asmin ramate jane | parām eva parāvataṁ sapatnīṁ gamayāmasi ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

न॒हि । अ॒स्याः॒ । नाम॑ । गृ॒भ्णामि॑ । नो इति॑ । अ॒स्मिन् । र॒म॒ते॒ । जने॑ । परा॑म् । ए॒व । प॒रा॒ऽवत॑म् । स॒ऽपत्नी॑म् । ग॒म॒या॒म॒सि॒ ॥ १०.१४५.४

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:145» मन्त्र:4 | अष्टक:8» अध्याय:8» वर्ग:3» मन्त्र:4 | मण्डल:10» अनुवाक:11» मन्त्र:4


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (अस्याः-नाम) इस कामवासना का-नाम मैं अध्यात्म-विद्या (नहि गृभ्णामि) नहीं ग्रहण करवाती हूँ (अस्मिन् जने) इस मनुष्य में जिसमें मैं अध्यात्मविद्या रहती हूँ (न रमते) उसमें कामवासना नहीं रमण करती है-नहीं ठहर सकती है (सपत्नीम्) विरोधी कामवासना को (परम्-एव) अन्य दिशा को-दूर दिशा को ही (परावतम्) दूर देश को (गमयामसि) पहुँचा देती हूँ ॥४॥
भावार्थभाषाः - जिस मनुष्य के अन्दर अध्यात्मविद्या बस जाती है, उसमें कामवासना नहीं रहती है, अपितु वह कामवासना का नाम तक नहीं लेता,उससे कामवासना दूर हो जाती है ॥४॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

भोगवृत्ति का नाम भी न लेना

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (अस्याः) = इस भोगवृत्ति का (नाम) = नाम भी (नहि गृभ्णामि) = नहीं ग्रहण करता हूँ । (अस्मिन् जने) = इस मनुष्य में (नो) = नहीं (रमते) = रमण करती। यह भोगवृत्ति इस प्रभु के उपासक में अपनी क्रीड़ा नहीं करती यह भोगवृत्ति से दूर ही रहता है। [२] (पराम्) = शत्रुभूत इस (सपत्नीम्) = इन्द्राणी की सपत्नीरूप भोगवृत्ति को (परावतं गमयामसि) = बहुत दूर भेजते हैं। आत्मविद्या की प्राप्ति इस भोगवृत्ति को हमारे से सुतरां दूर कर देती है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- आत्मविद्या की ओर झुकाव के होने पर भोगवृत्ति का नामोनिशान भी हमारे में नहीं रहता ।
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (अस्याः-नाम न हि गृभ्णामि) अस्याः कामवासनायाः खलु नाम नहि ग्राहयामि ‘अन्तर्गतो णिजर्थः’ अहमुपनिषदध्यात्मविद्या (अस्मिन् जने न रमते) यस्मिन् ह्यहमध्यात्मविद्या रमे, अस्मिन्-अध्यात्मविद्यावति शान्ते जने न कामवासना रमतेऽवतिष्ठते (सपत्नीम्) विरोधिनीं कामवासनां (पराम्-एव परावतम्) परामन्यां दिशं हि तथाऽन्यं दूरदेशं (गमयामसि) प्रेरयामसि प्रक्षिपामि “अस्मदो द्वयोश्च” [अष्टा० १।२।५९] ॥४॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - I do not even think of its name. No one entertains this human distraction, no one is distracted by this human fascination. We throw this remote fascination far off at the farthest.