वांछित मन्त्र चुनें

आ वा॑त वाहि भेष॒जं वि वा॑त वाहि॒ यद्रप॑: । त्वं हि वि॒श्वभे॑षजो दे॒वानां॑ दू॒त ईय॑से ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

ā vāta vāhi bheṣajaṁ vi vāta vāhi yad rapaḥ | tvaṁ hi viśvabheṣajo devānāṁ dūta īyase ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

आ । वा॒त॒ । वा॒हि॒ । भे॒ष॒जम् । वि । वा॒त॒ । वा॒हि॒ । यत् । रपः॑ । त्वम् । हि । वि॒श्वऽभे॑षजः । दे॒वाना॑म् । दू॒तः । ईय॑से ॥ १०.१३७.३

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:137» मन्त्र:3 | अष्टक:8» अध्याय:7» वर्ग:25» मन्त्र:3 | मण्डल:10» अनुवाक:11» मन्त्र:3


0 बार पढ़ा गया

ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (वात भेषजम्-आ वाहि) हे वायु स्वास्थ्यप्रद औषधरूप गुण को ला (वात यत्-रपः-वि वाहि) हे वायु ! जो दुःख रोग है, उसे परे कर अलग कर (त्वं हि-सर्वभेषजः) तू ही सर्व ओषधिवाला है (देवानां दूतः-ईयसे) दिव्यगुणों का दूत जैसे तू गति करता है ॥३॥
भावार्थभाषाः - शरीर के अन्दर रहनेवाला वायु स्वास्थ्यप्रद गुण को लाता है और शरीर से बाहर निकलनेवाला रोग को बाहर ले जाता है, इस प्रकार वायु ही सब-ओषधवाला दिव्य-गुणों का लानेवाला है ॥३॥
0 बार पढ़ा गया

हरिशरण सिद्धान्तालंकार

भेषज प्रापक 'वात'

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (वात) = प्राणायाम के द्वारा अन्दर प्राप्त कराये जानेवाली वायु ! तू (भेषजं आवाहि) = रोगों के औषध को हमें प्राप्त करा । और हे (वात) = बाहर फेंके जानीवाली वायु ! तू (यद्रपः) = जो भी दोष है, उसे (वि वाहि) = बाहर ले जा । [२] हे वायो ! (त्वम्) = तू (हि) = ही (भेषजः) = सब रोगों की औषध है । वस्तुतः (देवानां दूतः) = सब देवों का दूत बनकर हे वायो ! तू (ईयसे) = गति करती है। वायु सब देवों की अधिष्ठान को ठीक बना देती है और अधिष्ठानों के ठीक होने से देवों का वहाँ उपस्थान होता है। इस प्रकार यह वायु देवों का दूत बनती है। वह आती है, सब स्थानों को ठीक कर देती है और सब देव ठीक से अपने-अपने स्थान पर आकर सुशोभित होते हैं । यही पूर्ण स्वास्थ्य है ।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- वायु प्राणायाम के द्वारा शरीर में कार्य करती हुई उसे निर्दोष बनाती है ।
0 बार पढ़ा गया

ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (वात भेषजम्-आ वाहि) हे वायो ! भेषजं स्वास्थ्यप्रदमौषधं गुणं वा-आनय (वात यत्-रपः-वि वाहि) हे वायो ! यद्दुःखं रोगकरं तत् पृथक् नय (त्वं हि विश्वभेषजः) त्वं हि सर्वौषधवान् (देवानां दूतः-ईयसे) देवानां दिव्यगुणानां दूत इव गच्छसि ॥३॥
0 बार पढ़ा गया

डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - O breeze of fresh life, bring in the healing balm, blow out whatever is sinful and polluted. You blow as the divine breath of life and freshness, and you alone bring in the universal sanative.