न॒हि मे॒ रोद॑सी उ॒भे अ॒न्यं प॒क्षं च॒न प्रति॑ । कु॒वित्सोम॒स्यापा॒मिति॑ ॥
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
मन्त्र उच्चारण
nahi me rodasī ubhe anyam pakṣaṁ cana prati | kuvit somasyāpām iti ||
पद पाठ
न॒हि । मे॒ । रोद॑सी॒ इति॑ । उ॒भे इति॑ । अ॒न्यम् । प॒क्षम् । च॒न । प्रति॑ । कु॒वित् । सोम॑स्य । अपा॑म् । इति॑ ॥ १०.११९.७
ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:119» मन्त्र:7
| अष्टक:8» अध्याय:6» वर्ग:27» मन्त्र:1
| मण्डल:10» अनुवाक:10» मन्त्र:7
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ब्रह्ममुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (उभे रोदसी) दोनों द्यावापृथिवी या द्यावापृथिवीमय सब जगत् (मे) मेरा (अन्यं पक्षं चन) एक अन्य पक्ष-विरोधी पक्ष हो जावे, तो भी मुझे परमात्मा से रोक नहीं सकता, क्योंकि मैंने बहुत परमात्मा के आनन्दरस का पान किया है ॥७॥
भावार्थभाषाः - जो परमात्मा के आनन्दरस का पान कर चुकता है, उसे सारा जगत् भी परमात्मा की ओर से हटा नहीं सकता ॥७॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार
अद्भुत शक्ति
पदार्थान्वयभाषाः - [१] (कुवित्) = खूब ही (सोमस्य) = सोम का (अपाम्) = मैंने पान किया है (इति) = इस कारण (उभे रोदसी) = ये दोनों द्युलोक और पृथिवीलोक मे मेरे (अन्यं पक्षं चन) = एक पासे के भी (प्रति) = मुकाबिले में (नहि) = नहीं होते हैं । [२] सोमपान से अलौकिक शक्ति का प्रादुर्भाव होता है और मनुष्य सारे संसार का भी मुकाबिला करने में समर्थ हो जाता है। उसे ऐसा अनुभव होता है कि सारा संसार उसके एक पासे के भी तो बराबर नहीं। इस प्रकार सोमपान से वह इस अलौकिक शक्ति का अनुभव करता है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सोम के रक्षण से दिव्य शक्ति प्राप्त होती है ।
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ब्रह्ममुनि
पदार्थान्वयभाषाः - (उभे रोदसी मे-अन्यं पक्षं चन प्रति नहि) उभे द्यावापृथिव्यौ-द्यावापृथिवीमयं सर्वं जगदपि ममान्यं पार्श्वं भवत्-न ह्यवरोधयति (कुवित् सोमस्य अपाम् इति) पूर्ववत् ॥७॥
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डॉ. तुलसी राम
पदार्थान्वयभाषाः - Nor can the physical earth and heaven both be the other and opposite side of my divine personality, for I have drunk of the soma of the divine spirit.
