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दि॒वि मे॑ अ॒न्यः प॒क्षो॒३॒॑ऽधो अ॒न्यम॑चीकृषम् । कु॒वित्सोम॒स्यापा॒मिति॑ ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

divi me anyaḥ pakṣo dho anyam acīkṛṣam | kuvit somasyāpām iti ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

दि॒वि । मे॒ । अ॒न्यः । प॒क्षः । अ॒धः । अ॒न्यम् । अ॒ची॒कृ॒ष॒म् । कु॒वित् । सोम॑स्य । अपा॑म् । इति॑ ॥ १०.११९.११

ऋग्वेद » मण्डल:10» सूक्त:119» मन्त्र:11 | अष्टक:8» अध्याय:6» वर्ग:27» मन्त्र:5 | मण्डल:10» अनुवाक:10» मन्त्र:11


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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (दिवि) द्युलोक में (मे) मेरा (अन्यः पक्षः) एक पार्श्व-एक दृष्टिकोण है (अन्यम्) भिन्न दूसरे पार्श्व या दृष्टिकोण को (अधः) नीचे पृथिवी पर या संसार में (अचीकृषम्) प्रसारित करता हूँ (कुवित्०) पूर्ववत् ॥११॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा के आनन्दरस को जो बहुत पी लेता है, उसका एक स्वरूप मुक्त होना मोक्ष में है और दूसरा संसार में बद्धरूप से होता है। इन दोनों का विवेचन वह करता है ॥११॥
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हरिशरण सिद्धान्तालंकार

एक पक्ष द्युलोक, दूसरा पक्ष पृथ्वीलोक

पदार्थान्वयभाषाः - [१] (कुवित्) = खूब ही (सोमस्य) = सोम का (अपाम्) = मैंने पान किया है (इति) = इस कारण (मे अन्यः पक्षः) = मेरा एक पक्ष (दिवि) = द्युलोक में है तो (अन्यम्) = दूसरे पक्ष को मैंने (अधः) = नीचे (अचीकृषम्) = [आस्थापयम् सा० ] स्थापित किया है। [२] वीर्यरक्षण के द्वारा मैंने मस्तिष्क को ज्ञान से खूब दीप्त किया है तो मैंने इस शरीर रूप पृथिवी को भी बड़ा दृढ़ बनाया है । द्युलोक मेरा एक पक्ष है तो पृथिवीलोक दूसरा । इन दोनों पक्षों से मैंने अपने उत्थान का साधन किया है।
भावार्थभाषाः - भावार्थ- सोमरक्षण से द्युलोक मेरा एक पासा बनता है, तो पृथिवीलोक दूसरा । मेरा ज्ञान चमकता है और शरीर दृढ़ बनता है ।
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ब्रह्ममुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (दिवि मे-अन्यः पक्षः) द्युलोके ममैकः पार्श्वः (अन्यम्-अधः-अचीकृषम्) भिन्नं द्वितीयं पार्श्वं नीचैः पृथिव्यां कर्षयामि-प्रसारयामि “कृषधातोर्ण्यन्तात्-चङि लुङि रूपम्-सामान्यकाले (कुवित्०) पूर्ववत् ॥११॥
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डॉ. तुलसी राम

पदार्थान्वयभाषाः - I realise one mode of my existence high up in heaven and the other down here on earth, for I have drunk of the soma of the spirit divine.