य एक॑श्चर्षणी॒नां वसू॑नामिर॒ज्यति॑। इन्द्रः॒ पञ्च॑ क्षिती॒नाम्॥
ya ekaś carṣaṇīnāṁ vasūnām irajyati | indraḥ pañca kṣitīnām ||
यः। एकः॑। च॒र्ष॒णी॒नाम्। वसू॑नाम्। इ॒र॒ज्यति॑। इन्द्रः॑। पञ्च॑। क्षि॒ती॒नाम्॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
सब प्रकार से सब का सहायकारी परमेश्वर ही है, इस विषय को अगले मन्त्र में प्रकाश किया है-
हरिशरण सिद्धान्तालंकार
श्रम वे धनप्राप्ति [चर्षणियों के लिए वसु]
स्वामी दयानन्द सरस्वती
ईश्वर एव सर्वथा सहायकार्य्यस्तीत्युपदिश्यते
य इन्द्रश्चर्षणीनां वसूनां पञ्चानां क्षितीनामिरज्यति स एकोऽस्ति॥९॥
डॉ. तुलसी राम
आचार्य धर्मदेव विद्या मार्तण्ड
God only is our True Helper is taught in the ninth Mantra.
God who rules over all men, all riches and all worlds of five kinds where creatures dwell is only One. He alone should be worshipped.
