अनु॑ प्र॒त्नस्यौक॑सो हु॒वे तु॑विप्र॒तिं नर॑म्। यं ते॒ पूर्वं॑ पि॒ता हु॑वे॥
anu pratnasyaukaso huve tuvipratiṁ naram | yaṁ te pūrvam pitā huve ||
अनु॑। प्र॒त्नस्य॑। ओक॑सः। हु॒वे। तु॒वि॒ऽप्र॒तिम्। नर॑म्। यम्। ते॒। पूर्व॑म्। पि॒ता। हु॒वे॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
अब ईश्वर और सभाध्यक्ष की प्रार्थना सब मनुष्यों को करनी चाहिये, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है॥
हरिशरण सिद्धान्तालंकार
घर की ओर
स्वामी दयानन्द सरस्वती
अथेश्वरसभाध्यक्षयोः प्रार्थना सर्वमनुष्यैः कार्येत्युपदिश्यते॥
हे मनुष्य ! ते पिता यं प्रत्नस्यौकसः सनातनस्य कारणस्य सकाशात् तुविप्रतिं बहुकार्यप्रतिमातारं नरं परमेश्वरं सभासेनाध्यक्षं वा पूर्वं हुवे तमेवाहमनुकूलं हुवे स्तौमि॥९॥
डॉ. तुलसी राम
आचार्य धर्मदेव विद्या मार्तण्ड
All men should pray to God and the President of the Assembly is taught in the ninth Mantra.
O man, I also invoke in right earnest God who creates many things and works from the eternal cause-Primordial matter whom your father or preceptor also invoked.
