त्वं विश्व॑स्य मेधिर दि॒वश्च॒ ग्मश्च॑ राजसि। स याम॑नि॒ प्रति॑ श्रुधि॥
tvaṁ viśvasya medhira divaś ca gmaś ca rājasi | sa yāmani prati śrudhi ||
त्वम्। विश्व॑स्य। मे॒धि॒र॒। दि॒वः। च॒। ग्मः। च॒। रा॒ज॒सि॒। सः याम॑नि॒। प्रति॑। श्रु॒धि॒॥
स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर वह परमात्मा कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है॥
हरिशरण सिद्धान्तालंकार
मेधिर की उपासना
स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनः स ईश्वरः कीदृश इत्युपदिश्यते।
हे मेधिर वरुण ! त्वं यथा यो जगदीश्वरो दिवश्च ग्मश्च विश्वस्य यामनि राजति, सोऽस्माकं स्तुतिं प्रतिशृणोति तथैतन्मध्ये राजसि राजेः स्तुतिं प्रतिश्रुधि शृणु॥२०॥
डॉ. तुलसी राम
आचार्य धर्मदेव विद्या मार्तण्ड
How is that God is further taught in the 20th Mantra.
As God who shiniest over heaven and earth and all the world at all times, listens to our prayers, so O wise man, you should also do and respond to our call.
