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र॒थ॒वाह॑नं ह॒विर॑स्य॒ नाम॒ यत्रायु॑धं॒ निहि॑तमस्य॒ वर्म॑। तत्रा॒ रथ॒मुप॑ श॒ग्मं स॑देम वि॒श्वाहा॑ व॒यं सु॑मन॒स्यमा॑नाः ॥८॥

English Transliteration

rathavāhanaṁ havir asya nāma yatrāyudhaṁ nihitam asya varma | tatrā ratham upa śagmaṁ sadema viśvāhā vayaṁ sumanasyamānāḥ ||

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Pad Path

र॒थ॒ऽवाह॑नम्। ह॒विः। अ॒स्य॒। नाम॑। यत्र॑। आयु॑धम्। निऽहि॑तम्। अ॒स्य॒। वर्म॑। तत्र॑। रथ॑म्। उप॑। श॒ग्मम्। स॒दे॒म॒। वि॒श्वाहा॑। व॒यम्। सु॒ऽम॒न॒स्यमा॑नाः ॥८॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:75» Mantra:8 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:20» Mantra:3 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य कहाँ ठहर कर क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसा (सुमनस्यमानाः) सुन्दर विचार करते हुए (वयम्) हम लोग (यत्र) जहाँ (आयुम्) शस्त्र (निहितम्) स्थापित किया वा जहाँ (अस्य) इसका (वर्म) कवच और जिस (अस्य) इसका (हविः) लेने योग्य (नाम) नाम है (तत्रा) वहाँ इस (रथवाहनम्) जिससे रथ चलाया जाता है उसको वा (शग्मम्) सुख को और (रथम्) रमणीय यान को (विश्वाहा) सब दिनों (उप, सदेम) प्राप्त होवें ॥८॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! तुम लोग अच्छे विचार के साथ अग्नि आदि के सम्प्रयोग से बनाये हुए आयुधों से युक्त उत्तम यान द्वारा सर्वदैव शत्रुओं को ताड़ना देओ ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः कुत्र स्थित्वा किं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथा सुमनस्यमाना वयं यत्राऽऽयुधं निहितं यत्राऽऽस्य वर्म यस्यास्य हविर्नाम तत्रेमं रथवाहनं शग्मं रथं च विश्वाहोप सदेम ॥८॥

Word-Meaning: - (रथवाहनम्) रथं वहन्ति येन तम् (हविः) आदातव्यम् (अस्य) (नाम) (यत्र) (आयुधम्) (निहितम्) स्थापितम् (अस्य) (वर्म) (तत्रा) अत्र ऋचि तुनुघेति दीर्घः। (रथम्) रमणीयं यानम् (उप) (शग्मम्) सुखम् (सदेम) प्राप्नुयाम (विश्वाहा) सर्वाणि दिनानि (वयम्) (सुमनस्यमानाः) सुष्ठु विचारं कुर्वन्तः ॥८॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे मनुष्या ! यूयं सुविचारेणाग्न्यादिसम्प्रयुक्तेनाऽऽयुधाद्यधिष्ठितेन रथेन सदा शत्रूँस्ताडयत ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! तुम्ही सद्विचाराने अग्नी इत्यादींचा संप्रयोग करून आयुधे तयार करा व उत्तम यानांद्वारे सदैव शत्रूंची ताडना करा. ॥ ८ ॥