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आला॑क्ता॒ या रुरु॑शी॒र्ष्ण्यथो॒ यस्या॒ अयो॒ मुख॑म्। इ॒दं प॒र्जन्य॑रेतस॒ इष्वै॑ दे॒व्यै बृ॒हन्नमः॑ ॥१५॥

English Transliteration

ālāktā yā ruruśīrṣṇy atho yasyā ayo mukham | idam parjanyaretasa iṣvai devyai bṛhan namaḥ ||

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Pad Path

आल॑ऽअक्ता। या। रुरु॑ऽशीर्ष्णी। अथो॒ इति॑। यस्याः॑। अयः॑। मुख॑म्। इ॒दम्। प॒र्जन्य॑ऽरेतसे। इष्वै॑। दे॒व्यै। बृ॒हत्। नमः॑ ॥१५॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:75» Mantra:15 | Ashtak:5» Adhyay:1» Varga:21» Mantra:5 | Mandal:6» Anuvak:6» Mantra:15


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर रानी कैसी हो, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (या) जो (आलाक्ता) विष से युक्त (रुरुशीर्ष्णी) रुरु जाति के मृग के शिर के समान जिसका शिर और (अथो) इसके अनन्तर (यस्याः) जिसका (इदम्) (अयः) लोहेयुक्त (मुखम्) मुख है उस धारण करनेवाली (पर्जन्यरेतसे) मेघ के जल के समान वीर्यवती (देव्यै) दिव्य और (इष्वै) गमन करती हुई शूरवीर स्त्री के लिये (बृहत्) बहुत (नमः) अन्न हो ॥१५॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो रानी धुनर्वेद जानती हुई शस्त्र-अस्त्र फेंकनेवाली है, उसका वीरों को निरन्तर सत्कार करना चाहिये ॥१५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राज्ञी कीदृशी भवेदित्याह ॥

Anvay:

याऽऽलाक्ता रुरुशीर्ष्ण्यथो यस्या इदमयो मुखमस्ति तद्धर्त्र्ये पर्जन्यरेतसे देव्या इष्वै शूरवीरायै स्त्रियै बृहन्नमोऽस्तु ॥१५॥

Word-Meaning: - (आलाक्ता) आलेन विषेण दिग्धा युक्ता (या) (रुरुशीर्ष्णी) रुरोः शिर इव शिरो यस्याः सा (अथो) (यस्याः) (अयः) लोहयुक्तम् (मुखम्) (इदम्) (पर्जन्यरेतसे) पर्जन्यस्य रेत उदकमिव रेतो वीर्यं यस्यास्तस्यै। रेत इत्युदकनाम। (निघं०१२) (इष्वै) गन्त्र्यै (देव्यै) दिव्यायै (बृहत्) महत् (नमः) अन्नम् ॥१५॥
Connotation: - हे मनुष्या ! या राज्ञी धनुर्वेदविच्छस्त्रास्त्रप्रक्षेप्त्री वर्त्तते तस्या वीरैः सत्कारः सततं कार्य्यः ॥१५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जी राणी धनुर्वेद जाणकार असून शस्त्र, अस्त्र फेकणारी असते तिचा वीरांनी सदैव सत्कार करावा. ॥ १५ ॥