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उ॒त स्या नः॒ सर॑स्वती घो॒रा हिर॑ण्यवर्तनिः। वृ॒त्र॒घ्नी व॑ष्टि सुष्टु॒तिम् ॥७॥

English Transliteration

uta syā naḥ sarasvatī ghorā hiraṇyavartaniḥ | vṛtraghnī vaṣṭi suṣṭutim ||

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Pad Path

उ॒त। स्या। नः॒। सर॑स्वती। घो॒रा। हिर॑ण्यऽवर्तनिः। वृ॒त्र॒ऽघ्नी। व॒ष्टि॒। सु॒ऽस्तु॒तिम् ॥७॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:61» Mantra:7 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:31» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसी है, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (हिरण्यवर्त्तनिः) जिसमें विद्याव्यवहार का वर्त्ताव है वह (घोरा) दुष्टों को दुःख देनेवाली (वृत्रघ्नी) मेघ को हननेवाली बिजुली के समान (सरस्वती) विज्ञान भरी हुई वाणी (नः) हम लोगों को सुखी करती (स्या) वह (उत) भी हमारी (सुष्टुतिम्) सुन्दर प्रशंसा की (वष्टि) कामना करती है ॥७॥
Connotation: - जो बिजुली की चमक दमक के समान सुन्दर शोभावाली विदुषी स्त्री घर के कार्यों की प्रकाश करनेवाली तथा सन्तानों की विद्या की कामना करती है, वही यहाँ सौभाग्यवती होती है ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सा कीदृशीत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! या हिरण्यवर्त्तनिर्घोरा वृत्रघ्नी सरस्वती नः सुखयति स्योत नोऽस्माकं सुष्टुतिं वष्टि ॥७॥

Word-Meaning: - (उत) (स्या) सा (नः) अस्माकम् (सरस्वती) विज्ञानयुक्ता वाणी (घोरा) दुष्टानां दुःखप्रदा (हिरण्यवर्त्तनिः) हिरण्यस्य विद्याव्यवहारस्य वर्त्तनिर्मार्गो यस्यां सा (वृत्रघ्नी) मेघहन्त्री विद्युदिव (वष्टि) कामयते (सुष्टुतिम्) शोभनां प्रशंसाम् ॥७॥
Connotation: - या विद्युल्लतेव सुशोभा विदुषी स्त्री गृहकृत्यप्रकाशिनी सन्तानविद्यां कामयते सैव सौभाग्यवती जायते ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी विद्युल्लतेप्रमाणे सुशोभित विदुषी स्त्री गृहकृत्यात दक्ष असून संतानांच्या विद्येची कामना करते तीच सौभाग्यवती असते. ॥ ७ ॥