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आ गावो॑ अग्मन्नु॒त भ॒द्रम॑क्र॒न्त्सीद॑न्तु गो॒ष्ठे र॒णय॑न्त्व॒स्मे। प्र॒जाव॑तीः पुरु॒रूपा॑ इ॒ह स्यु॒रिन्द्रा॑य पू॒र्वीरु॒षसो॒ दुहा॑नाः ॥१॥

English Transliteration

ā gāvo agmann uta bhadram akran sīdantu goṣṭhe raṇayantv asme | prajāvatīḥ pururūpā iha syur indrāya pūrvīr uṣaso duhānāḥ ||

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Pad Path

आ। गावः॑। अ॒ग्म॒न्। उ॒त। भ॒द्रम्। अ॒क्र॒न्। सीद॑न्तु। गो॒ऽस्थे। र॒णय॑न्तु। अ॒स्मे इति॑। प्र॒जाऽव॑तीः। पु॒रु॒ऽरूपाः॑। इ॒ह। स्युः॒। इन्द्रा॑य। पू॒र्वीः। उ॒षसः॑। दुहा॑नाः ॥१॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:28» Mantra:1 | Ashtak:4» Adhyay:6» Varga:25» Mantra:1 | Mandal:6» Anuvak:3» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब मनुष्य किरणों के गुणों को जानें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (इह) यहाँ (अस्मे) हम लोगों के लिये (गावः) किरणें (आ, अग्मन्) प्राप्त होती हैं (उत) और (रणयन्तु) शब्द करावें तथा (भद्रम्) कल्याण को (अक्रन्) करती हैं, वे (गोष्ठे) गौओं के बैठने के स्थान में (सीदन्तु) प्राप्त हों और जैसे (पुरुरूपाः) बहुत रूपवाली (पूर्वीः) प्राचीन (दुहानाः) मनोरथ को पूर्ण करती हुई (उषसः) प्रभात वेलाएँ (इन्द्राय) अत्यन्त ऐश्वर्य से युक्त के लिये (प्रजावतीः) बहुत प्रजाओंवाली (स्युः) होवें, वैसे आप लोगों के लिये भी हों ॥१॥
Connotation: - जो वृक्षों के लगाने और सुगन्ध आदि से युक्त धूम से पवन के किरणों को शुद्ध करें तो ये सब को सुखयुक्त करते हैं ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ मनुष्याः किरणगुणान् विजानीयुरित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथेहाऽस्मे गाव आऽग्मन्नुत रणयन्तु भद्रमक्रंस्ता गोष्ठे सीदन्तु, यथा पुरुरूपाः पूर्वीर्दुहाना उषस इन्द्राय प्रजावतीः स्युस्तथा युष्मभ्यमपि भवन्तु ॥१॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (गावः) किरणाः (अग्मन्) आगच्छन्ति (उत) (भद्रम्) कल्याणम् (अक्रन्) कुर्वन्ति (सीदन्तु) प्राप्नुवन्तु (गोष्ठे) गावस्तिष्ठन्ति यस्मिंत्स्थले (रणयन्तु) शब्दयन्तु (अस्मे) अस्मभ्यम् (प्रजावतीः) बहुप्रजाः विद्यन्ते यासु ताः (पुरुरूपाः) बहुरूपाः (इह) (स्युः) (इन्द्राय) परमैश्वर्याय (पूर्वीः) प्राचीनाः (उषसः) प्रभातवेलाः (दुहानाः) काममलंकुर्वाणाः ॥१॥
Connotation: - यदि वृक्षारोपणसुगन्धादियुक्तहोमधूमेन वायुकिरणाञ्छुन्धेयुस्तर्ह्येते सर्वान्त्सुखयन्ति ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात गो, इंद्र, विद्या, प्रजा व राजाच्या धर्माचे वर्णन करण्याने या सूक्ताच्या अर्थाची या पूर्वीच्या सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जर वृक्षारोपण करून सुगंधाने युक्त यज्ञाच्या धुराने वायू शुद्ध केले तर ते सर्वांना सुखी करतात. ॥ १ ॥