आ प॑प्रौ॒ पार्थि॑वं॒ रजो॑ बद्ब॒धे रो॑च॒ना दि॒वि। न त्वावाँ॑ इन्द्र॒ कश्च॒न न जा॒तो न ज॑निष्य॒तेऽति॒ विश्वं॑ ववक्षिथ ॥
ā paprau pārthivaṁ rajo badbadhe rocanā divi | na tvāvām̐ indra kaś cana na jāto na janiṣyate ti viśvaṁ vavakṣitha ||
आ। प॒प्रौ॒। पार्थि॑वम्। रजः॑। ब॒द्ब॒धे। रो॒च॒ना। दि॒वि। न। त्वाऽवा॑न्। इ॒न्द्र॒। कः। च॒न। न। जा॒तः। न। ज॒नि॒ष्य॒ते॒। अति॑। विश्व॑म्। व॒व॒क्षि॒थ॒ ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब अगले मन्त्र में ईश्वर के गुणों का उपदेश किया है ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथेश्वरगुणा उपदिश्यन्ते ॥
हे इन्द्र ! यतः कश्चन त्वावान्न जातो न जनिष्यतेऽतस्त्वं विश्वं सर्वं जगद्ववक्षिथ यो भवान् पार्थिवं विश्वं रज आ पप्रौ दिवि रोचनाऽतिबद्बधेऽतः स त्वमुपास्योऽसि ॥ ५ ॥
MATA SAVITA JOSHI
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